Thursday, May 17, 2018

STORY

   FARMER AND SNAKE

एक गाँव मे एक किसान रहेता था। उसकी सारी ज़मीन पिछले 2-3 सालो से सूखे की मार झेल रही थी और वो पूरी तरह सूख चुकी थी। सर्दी का मौसम आ चुका था। किसान पेड़ के नीचे आराम कर रहा था। शाम हो चुकी थी, तभी उसकी नजर पास बने बिल पर गई, वहां एक सांप अपना फ़न उठाया हुआ बैठा हुआ था। किसान का मन में एक बात आई कि यह सांप तो सालो से यही रहेता होगा, लेकिन मेने कभी इसकी पूजा नहीं की ओर शायद यही वजह है कि मेरी सारी ज़मीन सूख चुकी है। किसान ने ठान लिया कि मैं हर रोज़ सांप की पूजा करूंगा। किसान एक कटोरे मे दूध ले आया ओर बिल के पास रखकर कहने लगा, 'हे नागराज, मुझे नहीं पता था कि आप यहा रहेते हैं, इसलिया माने कभी आप की पूजा नहीं की। मुझे क्षमा करे, अब से में अपकी रोज़ पूजा करूंगा' किसान सोने चला गया। सुबह देखा तो उस दूध के कटोरे में कुछ चमक रहा था। पास जाकर किसान ने देखा, तो वहा सोना का सिक्का था। अब तो यह रोज का सिलसिला हो गया था। किसान रोज सांप को दूध पिलाता ओर उसे एक सोने का सिक्का मिलता। एक दिन किसान को किसी काम से दूर गाँव जाना पड़ा, तो उसने अपने बेटे को रोज सांप को दूध पिलाने को कहा। किसान का बेटा ने वसा ही किया। अगली सुबह उसे भी एक सोना का सिक्का मिला। उसके बेटे ने सोचा कि यह सांप तो बहुत कंजूस है। जरूर इसके बिल में सोना के सिक्का होंगे, लेकिन यह तो बस रोज एक ही सिक्का देता है। अगर मैं इसको मार दू,तो मुझे सारा के सारा सोना मिल जाएगा।                                   अगली शाम लड़का जब दूध देना गया, तो उसने सांप को देखते ही उस पर छडी से वार किया, जिससे सांप ने विकराल रूप धारण कर लिया ओर उसे डस लिया। जख्मी सांप उसके बाद अपने बिल मे चला गया। किसान के रिश्तेदारों ने उसके बेटे का अंतिम संस्कार कर दिया। जब किसान लोटा, तो अपना बेटे की मौत की खबर से बहुत व्यथित हुआ। उसे सांप पर भी क्रोध आया, लेकिन सांप ने उसे सारी सच्चाई बताई, तो किसान ने कहा। 'मुझे पता है कि गलती मेरे बेटे की थी, उसकी तरफ से मे माफी मांगता हूं। किसान ने उसे दूध दिया ओर उससे फिर मांगते हुए कहा,' कृपया मेरे बेटे को माफ करे। सांप ने कहा, 'उन लकड़ियों के ढेर को और मेरे सिर को देखो, दरअसल यह ना तो तुम्हारे बेटे का दोष था और नहीं मेरा। परिस्थिति ही कुछ ऎसी बन गई थी कि यह सब कुछ हो गया। यह भाग्य ही खेल था। भाग्य के आगे हम सब मजबूर हैं। यह सच है कि भाग्य अपना खेल खेलता है, लेकिन हमारे कर्म भी मायने रखते हैं। लालच का फल हमेशा बुरा ही होता है। कभी भी लालच में आकर ऎसा काम नहीं करना चाहिए, जिससे दूसरो को हानि पहुचाने की सोचे, वर्ना लेने के देने पढ़ सकते हैं। 

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